अकबर-बीरबल की कहानी : ऊंट की गर्दन
राजा अकबर बीरबल की बुद्धिमत्ता और चतुराई से बहुत प्रभावित हुए। बीरबल किसी भी समस्या का समाधान पल भर में कर देते थे। एक दिन बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न हुए और उनके लिए इनाम की घोषणा की।
बहुत समय बीत गया और राजा इस घोषणा के बारे में भूल गया। उधर, बीरबल काफी समय से इनाम का इंतजार कर रहे थे। बीरबल को समझ नहीं आ रहा था कि वह बादशाह अकबर को इनाम के बारे में कैसे याद दिलाये।
एक शाम, बादशाह अकबर यमुना नदी के किनारे सैर का आनंद ले रहे थे, तभी उन्होंने वहाँ एक ऊँट को घूमते हुए देखा। जब राजा ने ऊँट की गर्दन देखी तो उन्होंने बीरबल से पूछा, “बीरबल, क्या तुम्हें पता है ऊँट की गर्दन क्यों मुड़ी हुई है?”
जैसे ही बीरबल ने बादशाह अकबर का सवाल सुना, उन्हें इनाम की याद दिलाने का मौका मिल गया। बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया, “महाराज, दरअसल यह ऊँट किसी से किया हुआ अपना वादा भूल गया है, तभी से इसकी गर्दन ऐसी ही है। बीरबल ने आगे कहा, “लोगों का मानना है कि जो अपना वादा भूल जाता है उसकी गर्दन झुक जाती है।”
बीरबल की बातें सुनकर राजा आश्चर्यचकित रह गए और उन्हें बीरबल से किया हुआ वादा याद आ गया। उन्होंने बीरबल को तुरंत महल चलने के लिए कहा। महल में पहुँचते ही राजा अकबर ने बीरबल को इनाम दिया और पूछा, “क्या मेरी गर्दन ऊँट जैसी तो नहीं हो जायेगी?” बीरबल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “नहीं महाराज।” यह सुनकर बादशाह और बीरबल जोर से हंस पड़े।
इस प्रकार बीरबल ने बादशाह को नाराज किये बिना अकबर को अपना वादा याद दिलाया और अपना इनाम प्राप्त किया।
कहानी से सिख :
इस कहानी से हमें यह समझ आता है कि हमें किसी से किया हुआ वादा अवश्य निभाना चाहिए।