महाभारत की कहानी: द्रोपदी का चीर हरण
महाभारत एक महाकाव्य है जिसमें अनेक छोटी-बड़ी शिक्षाप्रद घटनाओं का उल्लेख है। महाभारत में द्रौपदी का चीरहरण भी ऐसी ही घटना है। द्रौपदी पांचाल देश की राजकुमारी थी और उसका विवाह अर्जुन से हुआ था। अर्जुन ने स्वयंवर में मछली की आंख पर निशाना लगाकर द्रौपदी से विवाह किया, लेकिन माता कुंती के अंजाने में दिए एक आदेश से द्रौपदी पांडवों यानी पांचों भाइयों की पत्नी बन गई।
एक समय की बात है, इंद्रप्रस्थ शहर पर पांच भाइयों में सबसे बड़े युधिष्ठिर का शासन था। उस समय दुर्योधन हस्तिनापुर का राजकुमार था और पांचों पांडव उसके चचेरे भाई थे। दुर्योधन कौरवों में सबसे बड़ा था और अपने चचेरे भाई पांडवों से ईर्ष्या करता था।
दुर्योधन अपने मामा शकुनि का अत्यंत आदर करता था। शकुनि ने दुर्योधन को पांडवों को जुआ खेलने के लिए आमंत्रित करने की सलाह दी। पांडवों ने अपने छोटे भाई दुर्योधन का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। इस सभा में भरत वंश के शासक धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और महात्मा विदुर जैसे महान व्यक्तित्व भी शामिल हुए थे। शकुनि मामा ने युक्तियों से पांडवों को हराना शुरू कर दिया। इस खेल में पांडव अपना राज्य हार गये। धर्मराज युधिष्ठर ने भी खुद को और अपने चार भाइयों को जोखिम में डाला और हार गए। जब आख़िरकार उसके पास दाँव लगाने के लिए कुछ नहीं बचा तो उसने अपनी पत्नी द्रौपदी को दाँव पर लगाया। दुर्योधन तो मानो इसी क्षण की प्रतीक्षा में था। मामा शकुनि की सहायता से उसने द्रौपदी को भी जुए में जीत लिया।
द्रौपदी को जीतने के बाद दुर्योधन ने अपने भाई दुशासन को आदेश दिया कि वो द्रौपदी को भरी सभा में बाल पकड़कर और घसीटते हुए लेकर आए। भाई से आज्ञा मिलते ही दुशासन द्रौपदी के कक्ष में गया और उसे सभा में चलने को कहा। रानी द्रौपदी बहुत ही स्वाभिमानी और पतिव्रता स्त्री थीं, इसलिए उन्होंने दुशासन के साथ चलने से मना कर दिया। दुशासन ने गुस्से में आकर द्रौपदी के बाल पकड़ लिए और उसे खींचते हुए भरी सभा में लाकर खड़ा कर दिया।
दुर्योधन ने दुशासन को आज्ञा दी कि वो द्रौपदी को भरी सभा में निर्वस्त्र कर दे। दुशासन ने जैसे ही द्रौपदी के वस्त्र को हाथ लगाया, द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को मदद के लिए पुकारा। श्रीकृष्ण अपने भक्तों को कभी नाराज नहीं करते। कृष्ण ने जब द्रौपदी की करुण पुकार सुनी, तो उन्होंने द्रौपदी की साड़ी को बढ़ाना शुरू कर दिया। दुशासन, द्रौपदी का चीर खींचता रहा, लेकिन वो जितना खींचता वस्त्र उतना बढ़ता जाता। अंत में दुशासन थक कर हार गया, किन्तु द्रौपदी का वस्त्र हरण नहीं कर सका। ऐसा कहा जाता है महाभारत युद्ध के पीछे सबसे बड़ा कारण द्रौपदी चीरहरण ही था।