अकबर बीरबल की कहानी

अकबर-बीरबल की कहानी: बुद्धि से भरा बर्तन

अकबर-बीरबल की कहानी: बुद्धि से भरा बर्तन

एक दिन राजा अकबर और उनके प्रिय बीरबल के बीच अनबन हो गई। इस कारण राजा ने बीरबल को राज्य छोड़ने का आदेश दे दिया। इस स्थिति में भी बीरबल ने हार नहीं मानी और दूसरे गाँव में जाकर छिपकर खेती करने लगे। अब वह किसान का जीवन जीने लगे।

शुरुआत में तो राजा अकबर के लिए सब कुछ ठीक था, लेकिन कुछ ही दिन बीते थे कि राजा को अपनी गलती का अहसास होने लगा। वह अपने दैनिक जीवन में बीरबल को याद करने लगे। जब भी उनके सामने कोई कठिन समस्या आती तो उन्हें बीरबल की बहुत याद आती।

एक दिन, राजा अकबर खुद पर नियंत्रण नहीं रख सके। उन्होंने अपने सेनापति को बुलाया और बीरबल को ढूंढने का आदेश दिया। बादशाह के आदेश पर सभी गांवों और गलियों में बीरबल की तलाश शुरू हो गई। सभी सिपाहियों ने कोना-कोना छान मारा, लेकिन बीरबल का पता नहीं चला।

जब राजा को इस बात का पता चला तो वह बहुत निराश हुआ। अब बीरबल से मिलने की उनकी बेचैनी और बढ़ने लगी थी। अचानक राजा को एक विचार आया। उसने सभी ग्राम के मुखिया को संदेश भेजने का आदेश दिया कि वे अपनी सारी बुद्धि एक बर्तन में भरकर राजा को भेजें। जो कोई भी इस आदेश का पालन नहीं करता, उसे राजा को कीमती हीरे और मोती से भरा एक बर्तन भेजना होगा।

राजा का यह अजीब आदेश सुनकर सभी गाँव वाले हैरान रह गये। हर कोई इस बात को लेकर असमंजस में था कि बुद्धि को एक डिब्बे में कैसे रखा जाए। बुद्धि हर किसी के पास थी, लेकिन हर कोई यह पता लगाने में संघर्ष कर रहा था कि इसे एक बर्तन में कैसे रखा जाए। चूँकि यह संभव नहीं था, ऐसा न कर पाने की अवस्था में उन्हें उसी बर्तन को कीमती हीरे-जेवरों से भरना था, जो कि इससे भी बड़ी समस्या थी।

उसी समय, राजा का आदेश उस गाँव में भी एक गर्म विषय बन गया जहाँ बीरबल एक साधारण किसान के रूप में रहता था। जब बीरबल ने वहां आकर कहा कि मैं इस समस्या का समाधान ढूंढ सकता हूं जहा गांव के सभी बुजुर्ग निराश होकर बैठ गए। पहले तो किसी को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उनके पास बीरबल पर विश्वास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अतः इस कार्य का नेतृत्व बीरबल को सौंपा गया।

उस समय गाँव में तरबूज़ उगाने का समय था। बीरबल ने एक तरबूज़ की बेल बर्तन में गाड़ दी। धीरे-धीरे इस बेल पर तरबूज के फल लगने लगे और समय के साथ तरबूज ने एक बर्तन का आकार ले लिया। एक बार जब बर्तन तरबूज से पूरी तरह भर गया, तो बीरबल ने फल से बेल को अलग कर दिया और बर्तन को तरबूज के साथ राजा के दरबार में भेज दिया। और यह भी सन्देश भेजा कि इस पात्र में बुद्धि है और राजा को पात्र को तोड़े बिना ही बुद्धि निकाल लेनी है।

जैसे ही राजा ने तरबूज से भरा बर्तन देखा और उसे बाहर निकालने की शर्त सुनी, उन्हें यकीन हो गया कि ऐसा विचार केवल बीरबल ही दे सकता है। वह जल्दी से एक घोड़ा लेकर बीरबल को अपने साथ लाने के लिए गाँव गया।

कहानी से सीख –

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर कठिन प्रश्न का एक स्पष्ट उत्तर होता है। हमें बस थोड़ा सा हट के सोचने की जरूरत है।