तेनालीराम की कहानी: तेनाली राम और जादूगर
एक समय की बात है, राजा कृष्णदेव राय के महल में एक जादूगर आता था और वह तरह तरह के जादू दिखाकर सबका मनोरंजन करता था। उसका जादू देखकर दरबार में सभी लोग बहुत प्रसन्न हो गये।
जादूगर को अपनी जादुई कला पर बहुत घमंड था। अपना जादू दिखाने के बाद उन्होंने वहां बैठे लोगों से पूछा कि क्या किसी में इतना दम है कि वह उसे जादू में हरा सके। सभी लोग चुपचाप एक दूसरे को देखते हुए बैठे रहते हैं। जादूगर की चुनौती स्वीकार करने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। दरबार में बैठा तेनालीराम यह सब देख रहा था। जब कोई नहीं बोला, तो तेनाली राम खड़े हुए और जादूगर की चुनौती स्वीकार कर ली।
तेनालीराम ने जादूगर से कहा, “जो मैं अपनी आँखें बंद करके कर सकता हूँ, क्या तुम वह काम अपनी आँखें खोलकर कर सकते हो?” अहंकारी जादूगर हँसा और बोला, “इसमें कौन सी बड़ी बात है? मैं इसे अपनी आँखें खुली रखकर निश्चित रूप से कर सकता हूँ।”
जादूगर की बात सुनकर तेनालीराम द्वारपाल के पास गया और उसके कान में कुछ कहा। तेनाली की बात सुनकर द्वारपाल बाहर आया और अपने साथ एक मुट्ठी लाल मिर्च पाउडर लाया। फिर तेनाली ने अपनी आँखें बंद कर लीं और आँखों में मिर्च पाउडर डालने लगा। मिर्च डालते ही तेनाली धीरे-धीरे मुस्कुराता रहा। फिर थोड़ी देर बाद तेनाली ने अपनी बंद आँखें धोयीं और उन्हें खोलकर जादूगर की ओर देखा और कहा: “अब तुम्हें अपनी आँखें खुली रखकर ऐसा करना होगा।”
जादूगर ने हार मान ली, सिर झुकाया और मंच छोड़कर चला गया। राजा सहित दरबार में सभी लोग तेनाली से प्रसन्न थे। महाराजा बहुत खुश हुए और उन्होंने तेनाली को बहुत सारे उपहार दिये।
कहानी से सीख
आपको कभी भी अपनी प्रतिभा पर घमंड नहीं करना चाहिए। इंसान का अहंकार हमेशा इंसान को हराता है।