तेनाली रामा की कहानियां: कौवों की गिनती
महाराज कृष्णदेव तेनालीराम की बुद्धिमत्ता और चतुराई से अच्छी तरह परिचित थे। इसीलिए महाराज तेनालीराम से अक्सर ऐसे कठिन प्रश्न पूछा करते थे। महाराज के सवाल से कोई और होता तो अपना सिर झुका लेता, लेकिन तेनालीराम के पास हर समस्या का समाधान था और ऐसा लगता था जैसे उसने असफलता को स्वीकार करना कभी सीखा ही नहीं।
एक दिन बैठे-बैठे महाराज ने तेनालीराम से पूछाः “तेनाली, क्या तुम बता सकते हो कि हमारे राज्य में कितने कौवे होंगे?” कुछ देर तक महाराज का प्रश्न सुनने के बाद तेनालीराम ने सिर हिलाया और कहा कि वह बता सकता है कि राज्य में कितने कौवे है।
तेनालीराम की बात सुनकर महाराज बोले, “फिर से सोचो तेनाली, तुम्हें कौवों की सही संख्या बतानी होगी।” हालाँकि, वह जानना चाहता था कि तेनाली को पूरे राज्य में कौवों की संख्या कैसे पता चलेगी। तेनालीराम ने फिर पूर्ण विश्वास के साथ कहा, “महाराज, कृपया मुझे कुछ दिन का समय दीजिए। मैं आपको राज्य में कौवों की कुल संख्या अवश्य बताऊंगा।”
महाराज को लगा कि तेनालीराम अवश्य ही उन्हें धोखा देने का प्रयास कर रहा है। राजा ने तेनारीराम से कहा कि यदि वह उसे ठीक-ठीक नहीं बता सका कि एक सप्ताह में राज्य में कितने कौवे होंगे, तो उसे मार दिया जाएगा। महाराज की बात सुनने के बाद तेनालीराम ने एक बार फिर आत्मविश्वास से कहा, “निश्चिंत रहें महाराज, अगले सप्ताह तक आपके प्रश्नों के सटीक उत्तर आपके पास होंगे।” इसके बाद महाराजा की अनुमति से तेनालीराम देश छोड़कर चले गये।
ठीक एक सप्ताह बाद तेनालीराम महाराज के पास पहुँचे। तेनालीराम ने कहा, “महाराज, मैंने पता लगा लिया है कि हमारे राज्य में कुल कितने कौवे हैं। हमारे राज्य में कुल मिलाकर दो लाख बीस हजार इक्कीस कौवे हैं।” जब राजा ने तेनालीराम का उत्तर सुना तो वह आश्चर्यचकित रह गये और पूछा कि क्या सचमुच उनके राज्य में इतने सारे कौवे हैं। जब तेनालीराम ने महाराज को आश्चर्यचकित होते देखा तो बोला, “महाराज, यदि आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो आप किसी और से गिनने को कह सकते हैं।”
महाराज ने कहा, “अगर कौवों की गिनती कम ज्यादा हुई तो क्या तुम मृत्युदंड के लिए तैयार हो।” महाराज की बात सुनकर तेनालीराम ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे राज्य में कौवों की संख्या दो लाख बीस हजार इक्कीस ही है। अगर इनमें से कुछ कम-ज्यादा हुआ, तो जरूर कुछ कौवे राज्य से बाहर अपने रिश्तेदारों के यहां गए होंगे या फिर कुछ कौवे राज्य में अपने रिश्तेदार कौवों के पास आए होंगे।”
तेनालीराम का उत्तर सुनकर राजा दंग रह गये। महाराज को अपने प्रश्न का सटीक उत्तर मिला और वे तेनालीराम की बुद्धिमत्ता के कायल हो गये।
कहानी की नीति
इस संसार में मन से बड़ी कोई शक्ति नहीं है। जब बुद्धि और समझ का उपयोग किया जाता है, तो सबसे जटिल समस्याओं और मुद्दों को भी हल किया जा सकता है।