नैतिक कहानियां : आलसी गधे की कहानी
किसी गांव में एक गरीब व्यापारी अपने गधे के साथ रहा करता था। व्यापारी का घर बाजार से कुछ दूरी पर ही था। वह रोज गधे की पीठ पर सामान की बोरियां रखकर बाजार जाया करता था। व्यापारी बहुत अच्छा और दयालु इंसान था और अपने गधे का अच्छी तरह ध्यान रखता था। गधा भी अपने मालिक से बहुत प्यार करता था, लेकिन गधे की एक समस्या थी कि वह बहुत आलसी था। उसे काम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसे सिर्फ खाना और आराम करना पसंद था।
एक दिन व्यापारी को पता चला कि बाजार में नमक की बहुत मांग है। उस दिन उसने सोचा कि अब वो बाजार में नमक बेचा करेंगे। जैसे ही हाट लगने का दिन आया, व्यापारी ने नमक की चार बोरियां गधे की पीठ पर लादी और उसे बाजार चलने के लिए तैयार किया। व्यापारी, गधे के आलसीपन के बारे में जानता था, इसलिए गधे के न चलने पर उसने गधे को एक-दो बार धक्का दिया और गधा चल पड़ा। नमक की बोरियां थोड़ी भारी थीं, जिस वजह से गधे के पैर कांप रहे थे और उसे चलने में मुश्किल हो रही थी। किसी तरह, गधे को धक्का देते हुए व्यापारी उसे आधे रास्ते तक ले आया।
व्यापारी के घर और बाजार के बीच एक नदी पड़ती थी, जिसे पुल की मदद से पार करना पड़ता था। गधा जैसे ही नदी पार करने के लिए पुल पर चढ़ा और कुछ दूर चला, उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गया।
गधे को नदी में गिरा देख, व्यापारी घबरा गया और हड़बड़ाते हुए तैरकर उसे नदी से निकालने जा पहुंचा।
व्यापारी ने किसी तरह अपने गधे को नदी से बाहर निकाल लिया। जब गधा नदी से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसकी पीठ पर लदी बोरियां हल्की हो गई हैं। सारा नमक पानी में घुल गया था और व्यापारी को आधे रास्ते से ही वापस घर लौटना पड़ा। इस वजह से व्यापारी का बहुत नुकसान हो गया, लेकिन इस घटना से आलसी गधे को बाजार तक न जाने की एक तरकीब सूझ गई थी।
अगले दिन बाजार जाते समय जब पुल आया, तो गधा जानबूझकर नदी में गिर गया और उसकी पीठ पर टंगी बोरियों में रखा सारा नमक पानी में घुल गया। व्यापारी को फिर से आधे रास्ते से ही घर लौटना पड़ा। गधे ने हर दिन ऐसा करना शुरू कर दिया। इसके कारण गरीब व्यापारी को बहुत ज्यादा नुकसान होने लगा, लेकिन धीरे-धीरे व्यापारी को गधे की यह युक्ति समझ आ गई थी।
एक दिन व्यापारी ने सोचा कि क्यों न गधे की पीठ पर ऐसा सामान रखा जाए जिसका वजन पानी में गिरने से दोगुना हो जाए। यह सोच कर व्यापारी ने गधे की पीठ पर रूई से भरी बोरियां बांध दी और उसे लेकर बाजार की ओर चल पड़ा। जैसे ही पुल आया, गधा रोज की तरह नदी में गिर गया, लेकिन आज उसकी पीठ पर लदा वजन कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया। गधा इस बात को समझ नहीं पाया। ऐसा अगले दो से तीन तक होता रहा। व्यापारी गधे की पीठ पर रूई से भरी बोरी बांध देता और पानी में गिरते ही उसका वजन दोगुना हो जाता। आखिरकार गधे ने हार मान ली।
गधे को अब सबक मिल चुका था। चौथे दिन जब व्यापारी और गधा बाजार के लिए निकले, तो गधे ने चुपचाप पुल पार कर लिया। उस दिन के बाद से गधे ने कभी भी काम करने में आलस नहीं दिखाया और व्यापारी के सारे नुकसान की धीरे-धीरे भरपाई हो गई।
कहानी से सीख
बच्चों, आलसी गधे की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने कर्त्तव्य का पालन करने में कभी भी आलस नहीं दिखाना चाहिए। साथ ही, व्यापारी की तरह सही समझ और सूझबूझ से किसी भी काम को आसानी से किया जा सकता है।