पंचतंत्र की कहानी

पंचतंत्र की कहानी : गौरैया और बंदर की कहानी

पंचतंत्र की कहानी : गौरैया और बंदर की कहानी

एक समय की बात है, जंगल में एक घने पेड़ पर गौरैया का एक जोड़ा रहता था। वे इसी पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर जीवन यापन करते थे। दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगे। फिर सर्दियाँ आईं, इस बार बहुत ठंड पड़ी। ठंड से बचने के लिए एक दिन कई बंदर इस पेड़ के नीचे आराम करने आये। तेज ठंडी हवा के कारण सभी बंदर कांप रहे थे और बहुत चिंतित थे। एक पेड़ के नीचे बैठ कर वे आपस में कहने लगे कि कहीं आग मिल जाये तो ठंड दूर हो जायेगी। इसी बीच एक बंदर की नजर पास में पड़े सूखे पत्तों पर पड़ी।

उसने दूसरे बंदरों से कहा, “चलो इन सूखी पत्तियों को इकट्ठा करके जला दें।” इन बंदरों ने पत्तों को एक जगह इकट्ठा किया और उन्हें जलाने की योजना बनाई। यह सब एक पेड़ पर बैठी गौरैया ने देख लिया। जब उसने यह सब देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने बंदरों से कहा, “तुम कौन हो? आप लोगों की तरह दिखते हैं, आपके हाथ और पैर भी हैं, आप अपने लिए घर बनाकर वहां क्यों नहीं रहते?

गौरैया की बात सुनकर ठंड से कांप रहे बंदर क्रोधित हो गए और बोले, “तुम अपना काम करो, हमारे काम में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।” इतना कहने के बाद उसने विचार किया, पुनः अग्नि प्रज्वलित करने के लिए और तरह-तरह के उपाय करने लगा। इसी बीच बंदरों की नजर जुगनुओं पर पड़ी। वह चिल्लाने लगा, “देखो, आकाश में एक चिंगारी है, चलो उसे पकड़ें और जलाएँ।” यह सुनकर सभी बंदर उसे पकड़ने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने लगे। जब चिड़िया ने यह देखा तो फिर कहा, “यह जुगनू है, यह आग नहीं जलाता।” दो पत्थरों को आपस में रगड़ने से आग जल उठेगी। “

बंदरों ने पक्षी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। कई कोशिशों के बाद वह जुगनू को पकड़कर उसे जलाने की कोशिश करता है, लेकिन वह असफल हो जाता है और जुगनू उड़ जाता है। इससे बंदर निराश हो गये। इतने में गौरैया फिर बोली, “सुनो, तुम सब लोग पत्थरों को आपस में रगड़कर आग जला सकते हो।” इसी बीच गुस्साया बंदर खुद पर काबू नहीं रख सका और गौरैया का घोंसला तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ गया. जब पक्षी ने यह देखा तो वह दुखी हो गई और डर के मारे रोने लगी। इसके बाद वह पेड़ से उड़कर कहीं चला गया।

कहानी से सीख:

हर किसी को ज्ञान या सलाह देना जरूरी नहीं है. सलाह किसी बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति को ही देनी चाहिए। किसी मूर्ख को सलाह देने से हानि ही हो सकती है।