पंचतंत्र की कहानी

पंचतंत्र की कहानी : धोबी का गधा

पंचतंत्र की कहानी : धोबी का गधा

किसी गांव में एक धोबी अपने गधे के साथ रहता था। वह हर सुबह लोगों के घरों से गंदे कपड़े गधे पर लादकर लाता, उन्हें धोता और लौटा देता। यही उनका रोज का कार्य था एवं उसकी रोजी रोटी थी।

गधे ने कई वर्षों तक धोबी का काम किया, लेकिन समय के साथ वह बूढ़ा हो गया। उम्र ने उन्हें कमज़ोर कर दिया था और उनके लिए भारी कपड़े लादकर लाना असंभव बना दिया था।

एक दोपहर धोबी अपने गधे के साथ कपड़े धोने के लिए धोबीघाट पर गया। तेज धूप और गर्मी के कारण दोनों की हालत खराब हो गई थी। कपड़ों की गर्मी और वजन के कारण गधे का चलना मुश्किल हो गया। जब वे दोनों घाट की ओर बढ़ रहे थे तो अचानक गधे का पैर लड़ खड़ा गया और वह एक गहरे गड्ढे में गिर गया।

जब उसने देखा कि उसका गधा गड्ढे में गिर गया है, तो वह डर गया और उसे बाहर निकालने की कोशिश की। हालाँकि गधा बूढ़ा और कमज़ोर था, उसने गड्डे से बाहर निकलने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह और धोबी दोनों असफल रहे।

धोबी को इतनी मेहनत करते देख कुछ ग्रामीण उसकी मदद के लिए आगे बढ़े, लेकिन कोई भी उसे गड्ढे से बाहर नहीं निकाल सका।

तब गांव वालों ने धोबी को बताया कि गधा बूढ़ा हो चुका है इसलिए उसे गड्डे में मिट्टी डालकर वहीं दफना देना उचित है। काफी समझाने के बाद धोबी मान गया। गांव के निवासियों ने फावड़े से गड्ढे को मिट्टी से भरना शुरू कर दिया। जैसे ही गधे को एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो रहा है, वह बहुत दुखी हुआ और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। गधा कुछ देर तक चिल्लाता रहा, लेकिन थोड़ी देर बाद वह चुप हो गया।

अचानक धोबी ने देखा कि गधा कुछ अजीब हरकत कर रहा है। जैसे ही ग्रामीणों ने उस पर मिट्टी फेंकी, उसने अपने शरीर से मिट्टी को गड्ढे में गिरा दिया और उस पर चढ़ गया। परिणामस्वरूप, गड्ढा लगातार मिट्टी से भर गया, गधा उस पर चढ़ गया और ऊपर चला गया। जब धोबी ने अपने गधे की बुद्धिमत्ता देखी तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए और उसने गधे को गले से लगा लिया।

कहानी से सिख :
“धोबी का गधा” कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी आप अपनी बुद्धि का प्रयोग करके कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।