पंचतंत्र की कहानी: बोलने वाली गुफा
एक घने जंगल में एक बड़ा शेर रहता था। जंगल के सभी जानवर उसके सामने कांपते थे। वह प्रतिदिन जंगल के जानवरों का शिकार करके अपना पेट भरता था।
एक दिन वह पूरे दिन जंगल में घूमता रहा, लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। पदयात्रा के दौरान शाम हो गई और भूख के कारण उनकी हालत खराब हो गई। तभी शेर को एक गुफा दिखाई दी। शेर ने सोचा, क्यों न इसी गुफा में बैठकर उसके मालिक का इंतज़ार किया जाए और जैसे ही वह आए, वह उसे मारकर अपनी भूख मिटा ले। शेर ने जब यह सोचा तो वह दौड़कर गुफा में बैठ गया।
यह गुफा एक सियार की थी जो दिन के समय बाहर आया था। रात को जब वह अपनी गुफा में लौटा तो उसे गुफा के बाहर शेर के पंजे के निशान दिखे। जब उसने यह देखा तो वह सावधान हो गया। निशानों को करीब से देखने पर उसे एहसास हुआ कि पंजे के निशान गुफा में प्रवेश करने के लिए थे, न कि बाहर निकलने के लिए। अब उसे विश्वास हो गया कि शेर गुफा में है।
हालाँकि, इस बात को साबित करने के लिए सियार ने एक युक्ति निकाली। उसने गुफा के बाहर से पुकारा, “अरि ओ गुफा!” क्या हुआ, तुमने आज मुझे आवाज नहीं लगाई? तुम मुझे हर दिन आवाज़ लगाते हो, लेकिन आज तुम बहुत शांत हो। क्या हुआ? “
उसे लगा कि शेर उसके अंदर है। “शायद यह गुफा इस सियार को रोज बुलाती है, लेकिन आज यह मेरी वजह से बोल नही रही है, कोई बात नहीं आज मैं उसे बुला लेता हूं। यह सोचकर शेर जोर से आवाज लगता है ”मेरे प्रिय मित्र सियार आजाओ” अंदर आओ।
जब सियार ने यह आवाज सुनी तो वह समझ गया कि शेर अंदर बैठा है। वह तुरंत अपनी जान बचाने के लिए भाग गया।
कहानी से सीख :
मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बुद्धि से काम लिया जाए, तो उसका हल निकल सकता है।