पंचतंत्र की कहानी: ब्राह्मण, चोर और दानव
एक गाँव में द्रोण नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत गरीब था, उसके पास न तो पहनने के लिए अच्छे कपड़े थे और न ही खाने के लिए कुछ था। ब्राह्मण भिक्षा मांगकर जैसे तैसे अपना जीवन यापन करते थे। एक यजमान ने उसकी गरीबी देखी और उस पर दया की। उन्होंने द्रोण को एक जोड़ी बैल दान में दीं।
ब्राह्मण द्रोण ने बैलो को गौधन समझा और भक्तिभाव से उनकी सेवा करने लगे। वह अपने बेलो से इतना प्यार करता था कि खुद कम खाने पर भी वह उन्हें अच्छा खाना खिलाता था। ब्राह्मणों की सेवा लेने के बाद दोनों बैल स्वस्थ और हट्टे कट्टे हो गये। एक दिन उन बेलो पर चोर की नजर पड़ी। जैसे ही चोर ने बैल को देखा, उसने मन में उसे चुराने की योजना बना ली।
योजना बनाकर चोर रात होने पर बैल चुराने के इरादे से ब्राह्मण के घर के लिए निकल गया। कुछ देर चलने के बाद चोर का सामना एक भयानक राक्षस से हुआ। राक्षस ने चोर से पूछा: तुम इतनी रात को कहाँ जा रहे हो? चोर ने कहा: मैं ब्राह्मण के बैल चुराना चाहता हूं। राक्षस ने चोर की बातें सुनीं, और कहा, चल, मैं भी तेरे साथ चलूंगा। मैं कई दिनों से भूखा हूँ, मैं इस ब्राह्मण को खाकर अपनी भूख मिटा दूँगा और इसका बैल तुम्हें प्राप्त हो जायेगा। “
चोर ने सोचा कि रास्ते के लिए उसका एक साथी भी हो जायगा, इसलिए उसे अपने साथ ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। यह विचार कर चोर राक्षस को साथ लेकर ब्राह्मण के घर पहुंचा।
जब वह ब्राह्मण के घर पहुंचा तो राक्षस ने कहा, “पहले मैं ब्राह्मण को खाऊंगा, फिर तुम बैल चुरा लेना।” चोर ने कहा: “नहीं, पहले मैं बैल चुरा लूँगा, और फिर तुम ब्राह्मण को खाओगे।” तुम्हारे प्रहार से कभी ब्राह्मण जाग गया तो मैं बैल नहीं चुरा सकता।” तब राक्षस ने कहा: “यदि तुम बैल को खोल दोगे तो ब्राह्मण उसकी आवाज से भी जाग जाएगा और अपनी रक्षा कर सकेगा।” मैं इस चक्कर में भूखा रह जाऊगा।”
राक्षस और चोर दोनों इसी प्रकार विवाद करते रहे। दोनों में से कोई भी एक दूसरे की बात मानने को तैयार नहीं था. इसी बीच राक्षस और चोर की आवाज सुनकर ब्राह्मण जाग गया। चोर ने जब ब्राह्मण को जागते हुए देखा तो झट से बोला, “अरे! ब्राह्मण, देखो, यह राक्षस तुम्हें खाने आया था, लेकिन मैंने तुम्हें उससे बचा लिया। उसने कई बार तुम्हें खाने की भी कोशिश की, लेकिन मैंने उसे ऐसा नहीं करने दिया।”
जब राक्षस ने चोर की बातें सुनीं तो वह तुरंत बोला। “ब्राह्मण, मैं यहाँ तुम्हें खाने नहीं बल्कि तुम्हारे बेलो की रक्षा करने आया हूँ।” ब्राह्मण को उन दोनों की बाते सुनकर संदेह हुआ। खतरे को भांपते हुए, ब्राह्मण ने तुरंत अपना डंडा उठाया और उन्हें भगा दिया।
कहानी से सीख:
हमें हमेशा परिस्थिति के अनुसार काम करना चाहिए, जैसे इस कहानी में ब्राह्मण ने किया। उसे चोर व राक्षस की बात सुनने के बाद अपनी आत्मरक्षा के लिए डंडा उठा लिया, जो उस परिस्थिति के लिए बिल्कुल सही था।