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पंचतंत्र की कहानी: संगीतमय गधा

पंचतंत्र की कहानी: संगीतमय गधा

एक समय की बात है, एक गाँव में एक धोबी रहता था। उसके पास मोती नाम का एक गधा था। चूँकि धोबी स्वभाव से बहुत कंजूस था, इसलिए उसने जानबूझकर अपने गधे को खाना-पानी नहीं दिया और उसे चराने के लिए भेज दिया। नतीजा यह हुआ कि गधा बहुत कमज़ोर हो गया। एक दिन जब धोबी ने उसे चरने के लिए छोड़ दिया तो वह चरते-चरते जंगल में बहुत दूर निकल गया। जंगल में उसकी मुलाकात एक गीदड़ से हुई।

गीदड़ ने पूछा: गधे भाई, तुम इतने कमजोर क्यों हो? तब गधे ने कहा: मैंने पूरे दिन काम किया और उन्होंने मुझे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया। जब गीदड़ ने गधे से यह बात सुनी तो उसने कहा: मैं तुम्हें इसका उपाय बताऊंगा और तुम बहुत स्वस्थ और मजबूत हो जाओगे।

गीदड़ कहता है , “यहाँ पास में एक बड़ा बगीचा है जहाँ हरी सब्जियाँ और फल उगते हैं, मेने उस बाग मे जाने का ख़ुफ़िया रास्ता बना रखा है जिससे में रोज़ रातको वह जाकर हरी हरी सब्जिया और फल खाकर आता हु इसलिए मैं इतना स्वस्थ हूँ।” जब गधा गीदड़ की बातें सुनता है तो तुरंत उसके साथ हो जाता है। फिर गीदड़ और गधा एक साथ बगीचे की ओर बढ़ते हैं।

जब गधा बगीचे में पहुँचा तो उसकी आँखों में चमक आ गई। जब गधा बहुत सारे फल और सब्जियाँ देखता है, तो वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और अपनी भूख मिटाने के लिए तुरंत रसदार फल और सब्जियाँ खाना शुरू कर देता है। गीदड़ और गधे का पेट भर जाने के बाद वे उसी बगीचे में सो जाते हैं।

अगले दिन, गीदड़ सूर्योदय से पहले उठता है और तुरंत बगीचे को छोड़ने के लिए कहता है। गधा बिना किसी सवाल के सियार की बात मान जाता है और वे दोनों वहां से चले जाते हैं।

फिर वे दोनों रोज मिलते, बगीचे में जाते और हरी सब्जियाँ और फल खाते। धीरे-धीरे समय बीतता गया और गधा ठीक हो गया। प्रतिदिन अच्छा खाने से गधे का बाल चमकने लगा और उसकी चाल में भी सुधार होने लगा। एक दिन गधा खूब खाने के बाद जमीन पर लोटने लगा। तब गीदड़ ने पूछा: “गधे भाई, क्या तुम स्वस्थ हो?” तब गधा कहता है: “आज मैं बहुत खुश हूं और गाना गाना चाहता हूं।”

जब गीदड़ ने गधे की यह बात सुनी तो वह डर गया और बोला, “गधे भाई, भूलकर भी यह काम मत करना। यह मत भूलो कि हम चोरी करते हैं। कहीं बाग का मालिक तुम्हारा कर्कश गीत सुन कर इधर आ गया तो बड़ी मुसीबत हो जायेगी। भाई, इस गाने के चक्कर में मत पड़ो.

जब गधे ने गीदर से यह बात सुनी तो उसने कहा, “तुम इस गाने के बारे में क्या जानते हो?” हम गधे खानदानी गायक हैं. हमारा राग “ढेंचू” लोग बड़े चाव से सुनते हैं। आज मेरा सचमुच गाने का मन है तो गाऊंगा।”

गीदड़ समझ गया कि अब गधे को गाने से रोकना बहुत मुश्किल है। गीदड़ को अपनी गलती का एहसास हुआ। गीदड़ ने कहा, “गधे भाई, तुम सही कह रहे हो, हम गायन के बारे में क्या जानते हैं?” अब जब आप यह बता रहे हैं तो क्या यह संभव है कि बगीचे का मालिक आपकी सुरीली आवाज सुनकर फूलों की माला लेकर अवश्य आयेगा? तुम्हें माला पहनाने आएगा।” जब गधा गीदड़ की बातें सुनता है तो खुशी से गदगद हो जाता है। गधा कहता है, “ठीक है, फिर मैं अपना गाना शुरू करूंगा।”

फिर गीदड़ कहता है, “मैं तुम्हें माला पहना सकूं इसके लिए मेरे जाने के 15 मिनट बाद अपना गाना शुरू करना।” इससे मुझे आपका गाना खत्म होने से पहले यहां लौट आउगा।”

गीदड़ की यह बात सुनकर गधा और भी ज्यादा फूला नहीं समाता है और कहता है, “जाओ भाई गीदड़ मेरे सम्मान के लिए फूल माला लेकर आओ। मैं तुम्हारे जाने के 15 मिनट बाद ही गाना शुरू करूंगा।” गधे के इतना कहते ही गीदड़ वहां से नौ दो ग्यारह हो जाता है।

गीदड़ के जाने के बाद गधा अपना गाना शुरू करता है। गधे की आवाज सुनते ही बाग का मालिक लाठी लेकर   वहां पहुंच जाता है। वहां गधे को देख बाग का मालिक कहता है कि अब समझ आया कि तू ही है, जो मेरे बाग को रोज चर के चला जाता है। आज मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा। इतना कहते ही बाग मालिक लाठी से गधे की खूब जमकर पिटाई करता है। बाग मालिक की पिटाई से गधा अधमरा हो जाता है और बेहोश होकर जमीन पर गिर जाता है।

कहानी से सीख :

संगीतमय गधा कहानी से सीख मिलती है कि अगर कोई हमारी भलाई के लिए कुछ बात समझाता है, तो उसे मान लेना चाहिए। कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि दूसरों की बात न मानने से हम मुसीबत में पड़ सकते हैं