परी कथा : नन्हीं जलपरी की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, समुद्र की गहराई में, जलपरीयो के राजा का राज्य था। उसकी छः सुन्दर राजकुमारियाँ थीं, जिनसे राजा बहुत प्रेम करता था। उनमें से सबसे छोटी जलपरी का नाम ईवा था। ईवा हर किसी की पसंदीदा थी क्योंकि उसके मन में हर समुद्री जीव के प्रति गहरी सराहना थी। जरूरत पड़ने पर वह उनकी मदद करने में प्रसन्न रहती थी, लेकिन अन्य जलपरियों को यह पसंद नहीं आया।
राजा ने नियम बनाया था कि जो भी जलपरी 18 साल की हो चुकी हो, तो वह समुद्र की ऊपरी सहत पर जा सकती थी। इससे उन्हें समुद्र के पार की दुनिया का अनुभव करने का अवसर मिलता था । एक दिन जब राजा की पांचवी परी 18 साल की हुई तो उसे भी यह अवसर दिया गया उसे देखकर ईवा भी समुद्र की सतह पर जाना चाहती थी। ईवा ने अपने पिता, समुद्र के राजा, से समुद्र की सतह पर जाने की अनुमति भी मांगी। तब राजा ने यह कहकर मना कर दिया कि वह समुद्र की सतह पर जाने के लिए बहुत छोटी थी।
इस घटना के बाद ईवा अपने 18वें जन्मदिन का इंतज़ार करने लगी. समय बीतता गया और ईवा अपनी दादी से समुद्र के पार की दुनिया के बारे में पूछती रही। ईवा ने अपनी दादी की कहानियों से लोगों के बारे में भी सीखा। दादी ने ईवा को यह भी बताया कि हमारी जीवन 300 साल का होता है और मरने के बाद हम झाग में बदल जाते हैं। जिस जलपरी का दिल नेक और सच्चा होता है, उसे आसमान की परी अपने साथ ले जाती है और उस जलपरी को भी परी बना देती है। वहीं, इंसानों की उम्र ज्यादा से ज्यादा 100 साल ही होती है। इस प्रकार दादी से रोज वो समुद्र से बाहर की दुनिया के बारे में जानती रहती थी।
एक दिन वो घड़ी भी आ ही गई, जिसका इवा को कई सालों से इंतजार था। नियम के अनुसार इवा ने भी अपने जन्मदिन के अवसर पर राजा से समुद्र की ऊपरी सतह पर जाने की आज्ञा मांगी। इस पर राजा आज्ञा देने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्हें डर था कि उनकी इस भोलीभाली बेटी काे कोई कुछ कर न दे। तभी वहां केकड़ा आता है, जो राजा का मंत्री था। सभी राजा के मंत्री को श्रिंप कहकर बुलाते थे। वह इवा का बहुत अच्छा दोस्त भी था।
श्रिंप ने राजा से अनुरोध किया कि वह इवा का ख्याल रखेगा और उसे अपने साथ सही सलामत वापस लेकर आ जाएगा। तब राजा ने उन दोनों को समुद्र की सतह पर जाने की आज्ञा दी। राजा से आज्ञा लेकर वो दोनों खुशी-खुशी समुद्र की ऊपरी सतह की ओर चल देते हैं।
जैसे ही इवा ने समुद्र के ऊपर की दुनिया देखी वह देखती ही रह गई, उसने वहां हवा को महसूस किया, हवा में उड़ते हुए पक्षी देखे, सूरज को देखा। वह यह सब देख ही रही थी कि अचानक उस ओर उन्हें एक बड़ी नाव आती दिखाई दी। उसने दूर से उस पर सवार राजकुमार को देख लिया था। उसे देखते ही इवा को उस राजकुमार से प्यार हो गया। तभी अचानक समुद्र में तूफान आ गया और राजकुमार की नाव तूफान में फंसकर टूट गई।
यह सब देख कर इवा का मन भावुक हो गया और वह तुरंत राजकुमार को बचाने के लिए बढ़ चली। राजकुमार बेहोश हो गया था। इवा बेहोशी की हालत में उसे समुद्र के किनारे ले आई। समुद्र के किनारे आकर वह राजकुमार को देखने लगी। तभी अचानक वहां किसी के आने की आहट सुनाई दी। इस पर वह झट से एक चट्टान के पीछे छिप गई।
उसने देखा कि वहां कुछ राजकुमारियां आकर राजकुमार के पास रुक गईं हैं और उसे होश में लाने की कोशिश कर रही हैं। राजकुमार ने होश में आते ही उसके पास खड़ी राजकुमारी से पूछा कि क्या उसकी जान उस राजकुमारी ने बचाई है। तब उस राजकुमारी ने झूठ बोलते हुए हां में उत्तर दिया। यह सब इवा देख रही थी उसे यह अच्छा नहीं लगा कि राजकुमार की जान बचाने का झूठा श्रेय वह राजकुमारी ले रही है। फिर भी इवा खुश थी कि राजकुमार की जान बच गई थी।
उसके बाद इवा वहां से निकलकर वापस समुद्र की गहराइयों में अपने महल आ गई। वापस महल आने के बाद उसका मन कहीं भी नहीं लग रहा था। उसे अब हर पल बस राजकुमार की याद सताती रहती थी। तभी वहां श्रिंप आया और उसने इवा से पूछा कि वह क्यों उदास है। तब इवा ने उसे पूरी बात बताई।
श्रिंप ने कहा कि यहां काले समुद्र की ओर एक डायन रहती है। वह शायद तुम्हारी इस मामले में कुछ मदद कर सकती है, लेकिन उसके ऊपर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इवा किसी भी हालत में राजकुमार को पाना चाहती थी। इस कारण वह बिना कुछ सोचे समझे डायन के पास जाने के लिए चल देती है।
डायन ने जैसे ही उसे अपनी गुफा में आते हुए देखा, तो जादुई आईने से इसके बारे में पूछा। तब आईने ने बताया कि वह राजकुमारी है, जिसका दिल बहुत साफ है। वह बहुत जल्दी आसमान की परी बनने वाली है। जिस दिन वह परी बनेगी उस दिन तुम्हारे पाप की दुनिया और तुम्हारा दोनों का अंत हो जाएगा। डायन ने यह सुना, तो उसने कहा कि मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगी।
इतने में इवा डायन के पास पहुंच जाती है और अपने दिल की बात उसे बताती है। इस पर डायन कहती है कि वह उसकी मदद तो कर सकती है, लेकिन जब वह इंसान बनेगी तब उसकी आवाज चली जाएगी। यह सुनकर इवा कुछ देर सोचने लगी। फिर उसने कहा कि वह राजकुमार के लिए कुछ भी कर सकती है। डायन मन ही मन हंसी और उसने इवा को एक जादुई शरबत दिया। डायन ने कहा कि जैसे ही वह समुद्र के किनारे पहुंचकर इस शरबत को पियेगी वह इंसान बन जाएगी।
इवा तुरंत शरबत को लेकर समुद्र की ऊपरी सतह की ओर बढ़ने लगती है और जल्दी ही वह किनारे पर पहुंच जाती है। किनारे पर पहुंचते ही इवा उस जादुई शरबत को पीती है और बेहोश हो जाती है। शरबत पीने के बाद इवा की पूंछ अब पैरों में बदल चुकी होती है। तभी जलपरी से इंसान बन चुकी बेहोश इवा पर राजकुमार की नजर पड़ती है और वह इवा की खूबसूरती को देखता ही रह जाता है। वह उसे अपने महल ले आता है। इवा को देखने के बाद कहीं न कहीं राजकुमार को भी उसे प्यार हो जाता है, लेकिन उसने उस राजकुमारी को शादी का वचन दे दिया था, जिसने राजकुमार को बचाने का झूठ बोला था।
दूसरे दिन इवा को जब होश आया और वह चलने लगी, तब राजकुमार उसके पास आया और उससे उसके बारे में पूछने लगा। इस पर इवा कुछ भी नहीं बोल पाई और बहुत दुखी हुई। इसके बाद उसे पता चला कि राजकुमार की शादी राजकुमारी से होने वाली है, जिसे सुनकर वह और भी अधिक दुखी हुई और किनारे पर आकर रोने लगी।
जब श्रिंप ने यह सब बात सुनी, तो उसने पूरी बात समुद्र के राजा और राजकुमारियों को बताई। राजा सीधा किनारे की ओर जाने लगा और राजकुमारियां डायन की गुफा की ओर। राजकुमारियों ने डायन से आकर इवा के बारे में पूरी बात कही और उसे वापस से जलपरी बनाने की प्रार्थना करने लगीं। डायन को लगा कि यह सब मेरे जाल में फंस गए हैं। डायन इवा के हाथों राजकुमार को मरवाना चाहती थी, जिससे वह कभी भी आसमान की परी न बन पाए और डायन की पाप की दुनिया बनी रहे।
डायन ने राजकुमारियों को एक खंजर दिया और उनसे कहा कि अगर इवा इस खंजर से राजकुमार को मार दे, तो वह फिर से जलपरी बन सकती है। राजकुमारियां वह खंजर लेकर किनारे की ओर बढ़ने लगती हैं। राजा को खंजर देकर राजकुमारियां उन्हें डायन की पूरी बात बताती हैं। राजा वह खंजर इवा को देता है और उससे राजकुमार की हत्या करने को कहता है।
इवा खंजर लेकर महल की ओर बढ़ती है, लेकिन वह राजकुमार को पसंद करती थी, इस कारण वह रास्ते से वापस आ गई। उसने वह खंजर राजा को वापस दे दिया। इवा ने अपने पिता से कहा कि उसके जीने का अब कोई भी मकसद नहीं है, वह अब मरकर समुद्री झाग बनना चाहती है। यह कहकर जैसे ही उसने समुद्र में झलांग लगाई, तभी वहां आसमान में रहने वाली एक परी आ गई और उसने इवा को बचा लिया।
परी ने इवा को बचाते हुए कहा कि हम इवा को आपने साथ ले जा रहे हैं और आज के बाद से यह आसमान की परी बनकर हमेशा के लिए वहीं रहेगी। इवा के परिवार वालों ने जैसे ही यह बात सुनी सभी बहुत खुश हुए। इवा के परी बनते ही डायन का जादू समाप्त हो जाता है।
इतने में इवा के पीछे-पीछे वहां राजकुमार भी आ पहुंचता है। राजकुमार वहां मौजूद सभी जलपरियों और आसमानी परी को देख हैरान रह जाता है। वह इवा को बताता है कि वह भी उससे बहुत प्यार करता है। इस पर इवा राजकुमार से कहती है कि इस जन्म में न सही, लेकिन अगले जन्म में हम जरूर मिलेंगे।
कहानी से सीख:
साफ मन से अच्छे काम करने वालों का कभी बुरा नहीं होता। वहीं, दूसरों का बुरा चाहने वालों के साथ हमेशा बुरा ही होता है।