ब्रह्म देव की पूजा क्यों नहीं होती ?
एक बार धरती की भलाई के लिए ब्रह्मा जी के मन में यज्ञ करने का विचार आया। इसके बाद उन्होंने यज्ञ की जगह की तलाश शुरू की। फिर उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए एक कमल के फूल को धरती पर गिराया। मान्यता है कि ब्रह्मा जी का फूल जिस जगह पर गिरा वहीं पर उनका मंदिर बनवाया गया। यह मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। कथा के मुताबिक ब्रह्मा जी पुष्कर यज्ञ करने पहुंचे। इस दौरान सभी देवी-देवता भी यज्ञ स्थल पर पहुंच गए।
जबकि उनकी पत्नी सावित्री ठीक वक्त पर नहीं पहुंच पाई। शुभ मुहूर्त का वक्त निकला जा रहा था। इस यज्ञ को पूरा करने के लिए एक स्त्री की आवश्यकता थी। वक्त निकला जा रहा था, लेकिन सावित्री का उस समय कुछ पता नहीं था। वहीं, यज्ञ अगर समय पर नहीं संपन्न होता तो इसका लाभ नहीं मिलता। इसलिए ब्रह्मा जी ने उस दौरान एक स्थानीय ग्वाला से विवाह कर लिया और यज्ञ की शुरुआत की।
यज्ञ शुरु होने के थोड़ी देर बाद ही जब सावित्री वहां पहुंची तब उन्होंने अपनी जगह पर एक अन्य स्त्री को ब्रह्मा जी के साथ बैठा देखा। यह देखकर सावित्री बहुत क्रोधित हो गईं। उन्होंने उसी वक्त ब्रह्ना जी को श्राप दिया की इस पूरे संसार में कभी उनकी पूजा नहीं होगी और कोई भी व्यक्ति पूजा के समय उन्हें याद नहीं करेगा। सावित्री को इतने ग़ुस्से में देखते हुए उस वक्त सभी देवी-देवता डर गएं। सभी देवताओं ने सावित्री को समझाते हुए उन्हें अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा।
सावित्री का ग़ुस्सा जब ठंडा हुआ, तब उन्होंने यह कहा कि जिस स्थान में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया है, केवल उसी स्थान पर उनका मंदिर बनेगा। इसके बाद कहा जाता है कि देवी सावित्री पास में ही एक पहाड़ी पर तपस्या में लीन हो गईं और आज भी वहां उपस्थित हैं।
कहानी से सीख –
कभी भी कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए।