शेखचिल्ली की कहानी : नुकसान
एक दिन जब शेख चिल्ली घर पर बैठा आराम कर रहा था तो उसकी माँ ने उससे कहा: बेटा, तुम अब बड़े हो गये हो। अब कुछ काम करो जिससे परिवार की मदद हो।’ जब शेख चिल्ली ने अम्मी से यह बात सुनी तो उसने कहा: मेरे हाथ में तो कोई हुनर भी नहीं है जिससे में कमा के पैसे ला सकू इस पर अम्मी ने कहा कि ऐसा इसलिए कहा क्योंकि तुम्हारे पिता की अब उम्र हो गयी है वो बूढ़े हो गए है और अब ठीक से काम नहीं कर पाते। तुम कुछ भी काम करो, तुम्हें अब कुछ न कुछ तो करना ही होगा।
जब मां ने यह कहा तो शेख चिल्ली ने कहा कि अगर ऐसा है तो मैं कोशिश करूंगा, लेकिन पहले मुझे कुछ खाने को दो, मुझे बहुत भूख लगी है. माँ शेखचिल्ली से कहती है: “ठीक है बेटा, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए बनाती हूँ।”
खाने के बाद शेखचिल्ली काम की तलाश में घर से निकल जाता है। उस वक्त उसके दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी। मुझे कौन काम देगा ? मैं किस प्रकार का कार्य कर सकता हूँ? यही सोचते-सोचते वह सड़क पर चल रहा था कि अचानक उसकी नजर सड़क पर पैदल जा रहे एक साहूकार पर पड़ी। साहूकार अपने सिर पर घी का बर्तन लेकर जा रहा था । वह बहुत थका हुआ था। इस वजह से उनके लिए चलना बहुत मुश्किल हो रहा था.
जब साहूकार ने शेख चिल्ली को देखा, तो उसने शेख चिल्ली से पूछा, “क्या तुम मेरे लिए यह हांड़ी को लेकर चल सकते है?” बदले में मैं तुम्हें आधा आना दूंगा. “
चूंकि शेख चिल्ली अब काम की तलाश में था, इसलिए वह तुरंत हांड़ी को ले जाने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही शेखचिल्ली ने हांड़ी उठायी, साहूकार ने कहा कि ध्यान रहे कि बर्तन से घी बाहर न गिरे, मैं तुम्हें तभी आधा आना दूंगा यदि तुम उसे सुरक्षित मेरे घर तक पहुंचा सको।
बात तय होने के बाद शेख चिल्ली ने हांड़ी उठा कर अपने सिर पर रख ली, और साहूकार के साथ चला गया। शेख चिल्ली, चलते चलते सोच में पड़ गया। उसने सोचा कि अगर वह इस हांड़ी को उसके घर पहुंचाएगा तो उसे आधा आना मिलेगा।जिससे वह एक मुर्गी का चूजा खरीदेगा। बढ़ता हुआ चूजा मुर्गी बन जाता है। फिर मुर्गी अंडे देती है. इन अंडों से उसे बहुत सारे चूज़े मिलेंगे। और फिर जितनी अधिक मुर्गियाँ होंगी, उतने अधिक अंडे मिलेंगे, जिन्हें बेचकर अधिक पैसा कमा सकते हैं। जब मेरे पास पर्याप्त पैसा होगा, तो मैं इसका उपयोग भैंस खरीदने और एक अच्छा डेयरी फार्म बनाने के लिए करना चाहूंगा। फिर अंडे और दूध का व्यापार करूँगा और जब उसका व्यवसाय सफल हो जायेगा तो वह अमीर बन जाता है।
शेखचिल्ली का सपना यहीं ख़त्म नहीं हुआ; उनका यह भी मानना था कि अगर वह अमीर बन गए तो उनके एक से एक रिश्ते आएंगे। फिर वह एक खूबसूरत लड़की से शादी करता है। शादी के बाद उनके करीब एक दर्जन बच्चे होंगे. हर किसी को उस पर गर्व होगा.’ अब जबकि बच्चे ज्यादा हैं तो अगर कभी किसी से झगड़ा हो गया तो वो मार खाकर नहीं आयेंगे बल्कि मार कर आयेंगे.
तभी उसे अचानक याद आया कि उसके पड़ोसी के आठ बच्चे थे जो हमेशा आपस में लड़ते रहते थे। यह विचार आते ही उसके मन में ख्याल आया कि अब उसके एक दर्जन बच्चे हो गए हैं तो वे भी आपस में बहस करेंगे और अपनी शिकायतें लेकर मेरे पास आएंगे। तब मैं उनकी रोज-रोज की शिकायतों से तंग आ जाऊंगा । अगर अब मैं परेशान हो जाऊंगी तो मेरा मूड खराब हो जाएगा.’ अगर मूड खराब हो जाएगा तो नारजगी जाहिर करना तो बनता है.
इसी विचार के साथ उसने सपना देखा कि उसके बेटे झगड़े के बाद एक-दूसरे की शिकायत करने आते हैं और वह एक आलीशान कमरे में मुलायम गद्दे पर बैठा है। बच्चों के शोर और शिकायतों से शेख चिल्ली क्रोधित हो जाता है और गुस्से में उसे डांटते हुए कहता है, “;धत ।”
अब शेख चिल्ली सपने में इतना खो गया था कि उसे ध्यान ही नहीं रहा कि वह साहूकार की घी से भरी हुई हांड़ी ले जा रहा है। सपने में उसने बच्चों को उछल-कूद कर इतना डांटा कि उसका पैर सड़क पर एक बड़े पत्थर से टकरा गया। इससे साहूकार का बर्तन जमीन पर गिरकर टूट जाता है और सारा घी जमीन पर बिखर जाता है।
हांड़ी क टूट जाने से साहूकार बहुत क्रोधित हो गये और शेखचिल्ली को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसका सारा सपना धरा का धरा ही रह गया।
कहानी से सीख :
शेखचिल्ली का नुकसान कहानी से सीख मिलती है कि केवल सपने देखने से कुछ नहीं हासिल होता, बल्कि उसके लिए हकीकत में रहकर मेहनत भी करनी पड़ती है।