तेनालीराम की कहानियाँ

तेनालीराम की कहानी: मौत की सजा

तेनालीराम की कहानी: मौत की सजा

एक समय की बात है, बीजापुर नामक देश के सुल्तान इस्माइल अदिलशाह को डर था कि राजा कृष्णदेव उस पर हमला कर देश को जीत सकते हैं। सुल्तान ने हर जगह से सुन रखा था कि राजा कृष्णदेव ने अपनी वीरता से कई ज़मीनें जीतकर अपने राज्य में मिला ली हैं।

यह सोचकर सुल्तान के मन में ख्याल आया कि यदि उसे अपना देश बचाना है तो उसे राजा कृष्णदेव की हत्या करवानी होगी। सुल्तान यह काम तेनालीराम के घनिष्ठ मित्र कनकराजु को सौंपता है और उसे भारी इनाम देने का लालच भी देता है।

इसके बाद कनकराजू राजा को मारने की योजना बनाता है और तेनालीराम से मिलने जाता है। तेनालीराम लंबे समय के बाद अपने दोस्त को फिर से देखकर खुश होता है और अपने घर में उसका अच्छे से स्वागत करता है।

कुछ दिन बाद जब तेनालीराम काम पर जाने के लिए घर से निकलता है तो कनकराजु राजा कृष्णदेव को तेनाली के हाथो संदेश भेजता है कि यदि वह इसी समय मेरे घर आये तो मैं उसे कुछ अनोखा दिखाऊंगा। यह कुछ ऐसा है जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। संदेश सुनकर राजा शीघ्र ही तेनालीराम के घर पहुँच जाते हैं। जब राजाकृष्णदेव घर में दाखिल हुए तो उनके पास कोई हथियार नहीं था और उन्होंने अपने सैनिकों को भी बाहर रहने का आदेश दिया। राजा के घर में प्रवेश करते ही कनकराजु उन पर चाकू से हमला कर देता है, लेकिन राजा कृष्णदेव बड़ी चतुराई से कनकराजु के हमले को रोक देते हैं और सैनिकों को बुला लेते हैं। राजा की आवाज सुनते ही सैनिक वहां पहुंच जाते हैं और कनकराजु को पकड़कर मार डालते हैं।

राजा कृष्णदेव के पास एक कानून था जिसमें कहा गया था कि जो कोई भी राजा पर घातक हमला करने वाले को आश्रय देगा उसे मौत की सजा दी जाएगी। अत: तेनालीराम को भी मृत्युदंड दिया जाएगा । मृत्युदंड के बाद तेनालीराम राजा से दया की याचना करता है, लेकिन राजा कृष्णदेव कहते हैं, “तेनालीराम, मैं तुम्हारे लिए राज्य के नियम नहीं बदल सकता।” इसलिए, मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता, लेकिन मैं यह फैसला तुम पर छोड़ता हूं कि तुम किस तरह की मौत चाहते हो।” यह सुनकर तेनालीराम कहता है महाराज मैं बुढ़ापे की मौत चाहता हूं। यह सुनकर सभी आश्चर्यचकित रह गए और राजा कृष्णदेव हँसे और बोले, “तेनालीराम, तुम्हारी बुद्धिमत्ता ने तुम्हें फिर से बचा लिया है।”

कहानी से सिख

परिस्थिति चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम समझदारी से काम लें तो सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। तेनालीराम ने वैसा ही किया। भले ही उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया।