पंचतंत्र की कहानी

पंचतंत्र की कहानी: कबूतर और चींटी 

पंचतंत्र की कहानी: कबूतर और चींटी 

गर्मी के दिन थे, चींटी को बहुत प्यास लगी थी। वह पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगी । कुछ देर बाद वह नदी के पास आयी। नदी पानी से भरी थी, लेकिन चींटियाँ सीधे अंदर नहीं जा सकती थीं।

इसलिए वह एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और नदी से पानी पीने के लिए नीचे झुक गयी। चींटी जैसे ही पानी पीने के लिए झुकी तो नदी में गिर गई।

उसी नदी के तट पर एक पेड़ पर बैठा एक कबूतर इस दृश्य को ध्यान से देख रहा था। उसे चींटी पर तरस आया और उसने चींटी को बचाने की एक योजना सोची। उसने जल्दी से पेड़ की शाखा से एक पत्ता तोड़ा और नदी के पानी में बह रही चींटी के पास फेंक दिया।

चींटी पत्ते पर चढ़कर बैठ गई और जब पत्ता नदी के किनारे पहुंचा तो वह पत्ते से कूदकर जमीन पर आ गिरी। चींटी ने अपनी जान बचाने के लिए कबूतर को धन्यवाद दिया और चली गई।

कुछ दिन बाद उसी नदी के किनारे एक शिकारी आया। उसने कबूतर के घोंसले के पास अपना जाल फैलाया। वह अनाज को जाल में डालकर पास की झाड़ी में छिपकर बैठ गया।

कबूतर शिकारी और उसके जाल को नहीं देख सका। जमीन पर अनाज देखकर वह उसे चुगने के लिए जमीन पर आया और शिकारी के जाल में फंस गया।

उसी समय चींटी भी वहां आ गई। उसने देखा कि कबूतर शिकारी के जाल में फंस गया है। बेचारा कबूतर अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद शिकारी के जाल से बाहर नहीं निकल सका। तभी शिकारी आया और जाल में फंसे कबूतर को उठाकर चल दिया। तब चींटी ने कबूतर की जान बचाने का फैसला किया। चींटी दौड़ती हुई आई और शिकारी के पैर को काटने लगी।

चींटी के काटने से शिकारी को बहुत दर्द हुआ। उसने जाल फेंक दिया और अपने पैर साफ करने लगा। जैसे ही कबूतर को मौका मिला, वह जाल से बाहर निकला और तेजी से उड़ गया।

इस प्रकार चींटी ने कबूतर की जान बचा ली।

कहानी से सीख:
जब कोई बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करता है तो कभी-कभी उसे अच्छे परिणाम की प्राप्ति होती है। एक अच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छी चीजें होती हैं।