पंचतंत्र की कहानी

धूर्त बिल्ली का न्याय की कहानी : पंचतंत्र की कहानियां

धूर्त बिल्ली का न्याय की कहानी : पंचतंत्र की कहानियां

एक बार की बात है, जंगल में एक बड़े पेड़ के तने पर एक खोल था। इसके खोल में कपिंजल नाम का तीतर रहता था। वह प्रतिदिन भोजन की तलाश में खेतों में जाता था और शाम को लौट आता था।

एक दिन कपिंजल अपने दोस्तों के साथ भोजन की तलाश में दूर एक खेत में गया और शाम को भी नहीं लौटा। जब तीतर कुछ दिनों तक वापस नहीं आया तो खरगोश ने तीतर के खोल में अपना निवास स्थान बना लिया।

लगभग 2-3 सप्ताह बाद तीतर वापस लौट आया। खा-खाकर वह बहुत मोटा हो गया था और इस लम्बी यात्रा से थका हुआ भी था। जब वे लौटे तो घर में एक खरगोश रहता था। जब उसने यह देखा तो बहुत क्रोधित हुआ और खरगोश से कहा: यहाँ से चले जाओ। “

जब खरगोश ने तीतर को चिल्लाते देखा तो क्रोधित होकर पूछा, “कैसा घर?” कौन सा घर? जंगल का कानून कहता है कि आदमी जहां भी रहता है अपने घर में ही रहता है। आप यहां रहते थे, अब मैं यहां रहता हूं और इसलिए यह मेरा घर है।’ “

इससे उनके बीच बहस होने लगी। तीतर ने खरगोश को बार-बार घर छोड़ने के लिए कहा, लेकिन खरगोश टस से मस नहीं हुआ। तब तीतर ने कहा कि हम यह फैसला किसी तीसरे पर छोड़ देंगे।

बिल्ली दूर से उनका झगड़ा देखती रही। उसने सोचा कि यदि वे दोनों निर्णय सुनाने के लिए उसके पास आएंगे, तो उसे उन्हें खाने का अच्छा अवसर मिलेगा।

यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठ गयी और जोर-जोर से ज्ञान की बातें करने लगी। उसकी बातें सुनकर तीतर और खरगोश ने कहा कि वह कोई जानकार व्यक्ति लगती है और हमें समाधान के लिए उसके पास जाना चाहिए।

उन दोनों ने दूर से बिल्ली से कहा: “बिल्ली मौसी, तुम बहुत होशियार लगती हो। हमारी सहायता करो, और जो कोई दोषी हो, तुम उसे खा लेना।”

जब बिल्ली ने यह सुना तो उसने कहा, “मैंने हिंसा छोड़ दी है, लेकिन मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगी।” समस्या यह है कि मैं पहले से ही बूढ़ी हूं, इसलिए मुझे दूर से कुछ भी नहीं सुनाई देरा है। कृपया आगे आएँ?”

उन दोनों ने बिल्ली की बात पर विश्वास कर लिया और उसके पास पहुंचे। जैसे ही वे उसके पास पहुंचे, बिल्ली ने तुरंत अपने पंजों से हमला कर दिया, जिससे उन दोनों की एक ही बार में मौत हो गई।

कहानी से सीख :
इस कहानी से हमें यह समझ आता है कि हमें बहस नहीं करनी चाहिए और अगर झगड़ा हो भी जाए तो उसमें किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं करना चाहिए।