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नीले सियार की कहानी : पंचतंत्र की कहानी

नीले सियार की कहानी : पंचतंत्र की कहानी

एक दिन जंगल में बहुत तेज़ हवा चली। तेज हवा से बचने के लिए सियार एक पेड़ के नीचे खड़ा था और अचानक एक भारी पेड़ की शाखा उसके ऊपर गिर गई। सियार के सिर पर गहरी चोट लगी, वह डर गया और घायल होकर अपनी माँद में चला गया। इस चोट का असर कई दिनों तक रहा और वह शिकार करने में असमर्थ हो गया। भोजन की कमी के कारण सियार दिन-ब-दिन कमजोर होता गया।

एक दिन उसे बहुत भूख लगी और अचानक उसे एक हिरण दिखाई दिया। सियार हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे काफी दूर तक दौड़ा, लेकिन बहुत जल्दी थक गया और हिरण को मारने में असमर्थ रहा। सियार सारा दिन भूखा-प्यासा जंगल में घूमता रहा, लेकिन उसे पेट भरने के लिए कोई मरा हुआ जानवर नहीं मिला। जंगल से निराश होकर सियार ने गाँव की ओर जाने का निश्चय किया। सियार को आशा थी कि उसे गाँव में कोई बकरी या मुर्गी मिल जाएगी जिसे खाकर वह रात बिताएगा।

गांव में सियार अपना शिकार ढूंढ रहा था, लेकिन तभी उसकी नजर कुत्तों के झुंड पर पड़ी, जो उसकी ओर आ रहे थे। सियार को कुछ समझ में नहीं आया और वो धोबियों की बस्ती की ओर दौड़ने लगा। कुत्ते लगातार भौंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। सियार को जब कुछ समझ नहीं आया, तो वह धोबी के उस ड्रम में जाकर छुप गया, जिसमें नील घुला हुआ था। सियार को न पाकर कुत्तों का झुंड वहां से चला गया। बेचारा सियार पूरी रात उस नील के ड्रम में छुपा रहा। सुबह-सवेरे जब वह ड्रम से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला हो गया है। सियार बहुत चालाक था, अपना रंग देखकर उसके दिमाग में एक आइडिया आया और वह वापस जंगल में आ गया।

जंगल में पहुंच कर उसने ऐलान किया कि वह भगवान का संदेश देना चाहता है, इसलिए सारे जानवर एक जगह इकट्ठा हो जाएं। सारे जानवर सियार की बात सुनने के लिए एक बड़े पेड़ के नीचे एकत्रित हो गए। सियार ने जानवरों की सभा में कहा “क्या किसी ने कभी नीले रंग का कोई जानवर देखा है? मुझे ये अनोखा रंग भगवान ने दिया है और कहा है कि तुम जंगल पर राज करो। भगवान ने मुझसे कहा है कि जंगल के जानवरों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।” सभी जानवर सियार की बात मान गए। सब एक स्वर में बोले, “कहिए महाराज क्या आदेश है?” सियार ने कहा, “सारे सियार जंगल से चले जाएं, क्योंकि भगवान ने कहा है कि सियारों की वजह से इस जंगल पर बहुत बड़ी आपदा आने वाली है।” नीले सियार की बात को भगवान का आदेश मानकर सारे जानवर जंगल के सियारों को जंगल से बाहर खदेड़ आए। ऐसा नीले सियार ने इसलिए किया, क्योंकि अगर सियार अगर जंगल में रहते, तो उसकी पोल खुल सकती थी।

अब नीला सियार जंगल का राजा बन चुका था। मोर उसे पंखा झलते और बंदर उसके पैर दबाते। सियार का मन किसी जानवर को खाने का करता, तो वह उसकी बलि मांग लेता। अब सियार कहीं नहीं जाता था, हमेशा अपनी शाही मांद में बैठा रहता और सारे जानवर उसकी सेवा में लगे रहते।

एक दिन चांदनी रात में सियार को प्यास लगी। वह मांद से बाहर आया, तो उसे सियारों की आवाज सुनाई दी, जो दूर कहीं बोल रहे थे। रात को सियार हू-हू की आवाज करते हैं, क्योंकि ये उनकी आदत होती है। नीला सियार भी अपने आप को रोक न सका। उसने भी जोर-जोर से बोलना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पास के सभी जानवर जाग गए। उन्होंने नीले सियार को हू-हू की आवाज निकालते हुए देखा, तब उन्हें पता चला कि ये एक सियार है और इसने हमें बेवकूफ बनाया है। अब नीले सियार की पोल खुल चुकी थी। यह पता चलते ही सारे जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला।

कहानी से सीख

हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, एक न एक दिन पोल खुल जाती है। किसी को भी ज्यादा दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।