परी कथा : यूनिकॉर्न की कहानी
एक समसानु नाम का देश था। वहाँ के लोग शिकार करने में अच्छे थे। उनके हाथों से कोई जानवर बचकर नहीं निकल पाता था। एक बार शिकार के लिए निकले समसानु के लोगों के हाथ से यूनिकॉर्न बच निकला। यूनिकॉर्न जानवर दूसरे के मुकाबले काफ़ी फ़ुर्तिला था। इसलिए, लाख कोशिशों के बाद भी वो समसानु के लोगों के हाथ नहीं लगा। तभी से वहाँ के लोगों को यूनिकॉर्न की तलाश थी।
समसानु देश का सरदार किसी भी कीमत पर यूनिकॉर्न का शिकार करना चाहता था। हर दम वो उसे पकड़ने का जाल बुनता, लेकिन नाकामयाब हो जाता। ऐसा होते-होते महीनों बीत गए। तभी एक दिन एक सफ़ेद रंग का यूनिकॉर्न समसानु देश के लोगों को आसमान में उड़ता दिखा। वो यूनिकॉर्न जैसे ही ज़मीन पर आया, लोगों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में यह समाचार सरदार तक पहुँचा। वो भी तेज़ी से अपने महल से यूनिकॉर्न को पकड़ने के लिए निकल गया। यूनिकॉर्न पास की ही एक नदी से पानी पी रहा था। जब लोगों को पता चला, तो वो भी नदी के पास पहुँच गए।
समसानु देश के सरदार भी वहाँ पहुँचे और सबको थोड़ी दूरी पर खड़े होने के लिए कहा। उन्होंने हल्की आवाज़ में सबको समझाया कि आज इसे बचकर जाने नहीं देना है। इसलिए, मौका देखकर ही इसपर हमला करना होगा। अभी चुपचाप इसे देखते रहो।
यूनिकॉर्न ने भी मनभर पानी पिया और फिर घास खाई। हरी-हरी घास खाकर जब उसका पेट भर गया, तो वो वही पर लेट गया। सरदार ने सोचा कि यही समय है यूनिकॉर्न को पकड़ने का। उसने लोगों को यूनिकॉर्न को पकड़ने का आदेश दिया।
सब एक लंबी-सी रस्सी लेकर आए और उसे यूनिकॉर्न के गले में डाल दी। फिर आगे और पीछे के पैरों में रस्सी फंसाकर उसे खींचने लगे। तभी यूनिकॉर्न की नींद खुल गई। गले और पैरों में रस्सी देखकर यूनिकॉर्न ने चिल्लाना शुरू किया। आखिर यूनिकॉर्न की मदद के लिए कौन आता? सभी लोग उसे पकड़कर ले गए और पिंजरे में बंद कर दिया।
यूनिकॉर्न को पकड़ने से सरदार बहुत खुश था। उसने शाम के समय जश्न रखा। सभी लोग खुशी में झूमने लगे। जश्न के बीच में पिंजरे में कैद यूनिकॉर्न को भी लाया गया।
तभी पता चला कि पास के ही किसी इलाके में आग लग गई है। देखते-ही-देखते आग विकराल हो गई। लोग अपनी जान बचाने के लिए चीखते-चिल्लाते हुए भागने लगे। लोग आग को बुझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आग बढ़ती जा रही थी।
पिंजरे में बंद यूनिकॉर्न भी आग देखकर डर गया। वो फिर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाया। इस बार उसकी मदद के लिए एक लड़का सैम आया। उसने यूनिकॉर्न से कहा, “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारा पिंजरा खोल दूंगा।” बहुत ताकत लगाने के बाद पाँचवी बार में सैम पिंजरा खोलने में कामयाब हुआ।
जैसे ही पिंजरा खुला, यूनिकॉर्न अपनी पीठ में सैम को बैठाकर आसमान में उड़ गया। सैम ने ऊपर से देखा, तो आग बहुत भयानक लग रही थी। उसने यूनिकॉर्न से पूछा, “क्या तुम हमारी मदद नहीं कर सकते हो? देखो, आग कितनी फैल रही है, लोग मर जाएंगे।”
सैम की बात सुनकर यूनिकॉर्न आसमान से ज़मीन की तरफ़ उतरा। उतरते ही उसने अपने मुँह से ठंडी हवा फेंकी और आग बुझा दी। पूरे इलाके की आग बुझ गई और लोग खुश हो गए। आग बुझाते ही दोबारा यूनिकॉर्न सैम को लेकर उड़ा और उड़ते हुए दूसरे जंगल में चला गया।
कुछ समय दोनों ने साथ बिताया और दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई। तभी यूनिकॉर्न कुछ दूर चला गया। सैम को लगा कि अब यूनिकॉर्न वापस आसमान में उड़ने वाला है। उसने यूनिकॉर्न से पूछा, “क्या तुम कभी वापस आओगे?”
सैम को इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिला। यूनिकॉर्न कुछ देर रुका और आसमान में उड़ गया। सैम भी दुखी मन से अपने घर लौट आया। लोगों ने उससे यूनिकॉर्न और यूनिकॉर्न की सवारी के बारे में पूछा। सैम ने यूनिकॉर्न की खूब तारीफ़ की। लेकिन, मन-ही-मन सैम दुखी था।
सैम हर रोज़ उसी जंगल में यूनिकॉर्न से मिलने की उम्मीद में जाता रहा, लेकिन यूनिकॉर्न वहाँ वापस कभी नहीं आया।
कहानी से सीख
यूनिकॉर्न की कहानी से यह सीख मिलती है कि आप जब दूसरों की मदद करते हैं, तो वो भी आपके और आपके अपनों के लिए मदद का हाथ बढ़ाते हैं।