नैतिक कहानियां

नैतिक कहानी : धोबी के गधे की कहानी

नैतिक कहानी : धोबी के गधे की कहानी

एक गांव में एक धोबी अपने गधे के साथ में रहता था। वह हर सुबह लोगों के घरों से गंदे कपड़े गधे पर लादकर लाता, धोता और वापस ले जाता। यही उनका दैनिक कार्य एवं आजीविका थी।

गधे ने कई वर्षों तक धोबी का काम किया, लेकिन समय के साथ वह बूढ़ा हो गया। उम्र ने उसे कमजोर कर दिया था और उसे अपने कपड़ों का वजन उठाने में असमर्थ कर दिया था।

एक दोपहर धोबी अपने गधे के साथ कपड़े धोने के लिए धोबी घाट जा रहा था। तेज धूप और गर्मी के कारण दोनों की हालत खराब हो गई थी। कपड़ों के वजन और गर्मी के कारण गधे का चलना मुश्किल हो गया। जब वे दोनों घाट की ओर बढ़ रहे थे तो अचानक गधे का पैर लड़खड़ा गया और वह एक गहरे गड्ढे में गिर गया।

जब धोबी ने अपने गधे को गड्ढे में देखा तो वह डर गया और उसे बाहर निकालने की कोशिश करने लगा। हालाँकि गधा बूढ़ा और कमज़ोर था, उसने गड्डे से बाहर निकलने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह और धोबी दोनों असफल रहे।

धोबी को कड़ी मेहनत करते देख कुछ ग्रामीण उसकी मदद के लिए आए, लेकिन कोई भी उसे गड्ढे से बाहर नहीं निकाल सका।

तब गांव वालों ने धोबी को बताया कि गधा पहले से ही बूढ़ा है इसलिए गड्ढे को मिट्टी से भरकर उसे यहीं दफना देना ही बुद्धिमानी होगी। काफी समझाने के बाद धोबी मान गया। ग्रामीणों ने फावड़े से गड्ढे को मिट्टी से भरना शुरू कर दिया। जैसे ही गधे को एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो रहा है, वह बहुत दुखी हुआ और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। गधा कुछ देर तक चिल्लाता रहा, लेकिन थोड़ी देर बाद वह चुप हो गया।

अचानक धोबी ने देखा कि गधा कुछ अजीब हरकत कर रहा है। जैसे ही ग्रामीणों ने उस पर मिट्टी फेंकी, उसने अपने शरीर के साथ मिट्टी को गड्ढे में फेंक दिया और उस पर चढ़ गया। नतीजा यह हुआ कि गड्ढा लगातार मिट्टी से भर गया और गधा उस पर चढ़कर ऊपर आ गया। जब धोबी ने अपने गधे की बुद्धिमत्ता देखी तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए और उसने गधे को गले से लगा लिया।

कहानी से सिख :
बच्चों, “धोबी का गधा” कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी आप अपनी बुद्धि का प्रयोग करके कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं।

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